Chhath Puja 2025: छठ पूजा कब है? नोट करें नहाय-खाय से लेकर उगते सूर्य को दिये जाने वाले अर्घ्य की सही तारीख

Komentari · 36 Pogledi

Chhath Puja 2025: सनातन परंपरा में लोक आस्था से जुड़ी छठ पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, वह दिवाली बाद अक्टूबर महीन??

Chhath Puja 2025: छठ पूजा कब है? नोट करें नहाय-खाय से लेकर उगते सूर्य को दिये जाने वाले अर्घ्य की सही तारीख
Chhath Puja 2025 Dates : छठ पूजा 2025 का कैलेंडर

Chhath Puja Kab Hai 2025 Date and time: हिंदू धर्म में दीपावली के ठीक बाद भगवान सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित छठ महापर्व का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. यह पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. प्रकृति से जुड़े इस पावन पर्व में लोग न सिर्फ उगते हुए बल्कि डूबते हुए सूर्य को भी विशेष अर्घ्य देते हैं. इस साल आस्था के इस महापर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी और यह 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य को जल देने के बाद पूर्ण होगा. आइए छठ महापर्व की प्रमुख तारीखों और उससे जुड़े धार्मिक महत्व के बारे में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत (Sanskrit) विश्वविद्यालय के पौरोहित विभाग के प्रोफेसर रामराज उपाध्याय से विस्तार में जानते हैं.

चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा का कैलेंडर

नहाय खाय (25 अक्टूबर 2025)

छठ महापर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर 2025, शनिवार को नहाय खाय से होगी. इस दिन महिलाएं विशेष रूप से लौकी का सेवन करती हैं. जिसे लौका भात की परंपरा भी कहा जाता है. इसमें लौकी और भात को खाया जाता है.

Latest and Breaking News on NDTV

खरना  (26 अक्टूबर 2025)

छठ पूजा पूजा का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग पूरे समय व्रत रखते हैं और शाम के समय घाट किनारे जाकर स्नान आदि करने के बाद संझवत की परंपरा को निभाते हैं. इस पूजा में घाट पर विधि-विधान से पूजा करने के बाद विशेष रूप स दीपक जलाया जाता है. व्रत रखने वाली महिलाएं छठी मैया को चावल की खीर अर्पित करती है.

डूबते सूर्य को अर्घ्य (27 अक्टूबर 2025)

छठ पूजा के तीसरे दिन षष्ठी व्रत रखा जाता और इसी दिन शाम को व्रत करने वाला व्यक्ति पूजा का सारा सामान अपने सिर पर रखकर घाट किनारे जाता है और वहां पर डूबते हुए सूर्य देव को संध्या अर्घ्य देता है. तमाम जगह पर अधिकतर श्रद्धालु अगले दिन सूर्योदय के समय की जाने वाली सूर्य पूजा के लिए घाट पर ही रुक जाते हैं.

Komentari