लाल समंदर का रेड अलर्ट भारत के लिए क्यों खतरे की घंटी है, जानिए

Comments · 444 Views

लाल सागर में हूती मिलिशया के आक्रमण के बाद से इस रूट से जहाजों की आवाजाही पर असर देखने को मिल रहा है। वहीं, अमेरि

नई दिल्ली : लाल सागर में समुद्री जहाजों पर पहले हूती मिलिशया का आक्रमण हुआ। इसके बाद अब अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन ने जवाब देना शुरू कर दिया। दोनों देशों की तरफ से हूती विद्रोहियों पर हमले से स्थिति गंभीर हो चुकी है। इन हमलों ने कई देशों की सरकारों के लिए चिंता बढ़ा दी है। इसकी वजह है कि लाल सागर के आसपास व्यवधान ने अब शिपिंग शेड्यूल को अनियमित बनाने के अलावा सप्लाई चेन को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इस बीच कॉमर्स डिपार्टमेंट कुछ चिंताओं को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सप्लाई प्रभावित ना हो अगले सप्ताह एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श पर काम कर किया जा रहा है। निर्यातकों का कहना है कि इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका से सामान की लागत में वृद्धि होगी।

तेल की कीमतों पर असर

शुक्रवार को तेल की कीमतों में 2% की वृद्धि हुई। ब्रेंट क्रूड वायदा भारतीय समयानुसार रात 9.15 बजे के आसपास 79 डॉलर बैरल से अधिक हो गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा बढ़कर 73.53 डॉलर हो गया। दूसरी तरफ, कंटेनर दरें पहले ही बढ़ चुकी हैं। बेंचमार्क शंघाई कंटेनरीकृत फ्रेट इंडेक्स सप्ताह-दर-सप्ताह 16% बढ़कर 2,206 अंक हो गया है। शंघाई से यूरोप तक 20 फीट के कंटेनर की हाजिर दरें एक सप्ताह में 8% बढ़कर 3,103 डॉलर के शीर्ष पर पहुंच गईं।
व्यापारी और बिजनेस को अब जिस प्रमुख समस्या का सामना करना पड़ रहा है वह है देरी। इसकी वजह है कि जहाज केप ऑफ गुड होप के आसपास जा रहे हैं। इसमें अधिक समय लग रहा है। उन्हें लगभग 14 दिनों के लिए अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ रही है। सूत्रों ने बताया कि साप्ताहिक कंटेनर शिपिंग सेवा प्रदान करने वाली शिपिंग लाइनों पर इसका असर अधिक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि चूंकि केवल जहाजों को चक्कर लगाने में लगभग दो सप्ताह का अतिरिक्त समय लग रहा है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि सेवाएं प्रभावित होंगी और कंटेनरों की कम उपलब्धता भी जल्द ही महसूस की जाएगी। सहाय ने कहा कि कुछ शिपिंग लाइनें तय कार्यक्रम का पालन नहीं कर रही हैं। यहां तक कि जब वे रवाना होने का इरादा रखती हैं तो नई तारीख लेने को भी तैयार नहीं हैं। लंबी यात्रा का समय बाजार में कंटेनर की उपलब्धता पर भी असर डालेगा।
 
भारत में भी कीमतें बढ़ी हैं लेकिन अन्य व्यवधान भी हैं। उदाहरण के लिए, एक अग्रणी बीमा कंपनी ने समुद्री बीमा प्रदान करना बंद कर दिया है। फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि सरकार को कंपनियों पर बीमा प्रदान करने के लिए दबाव डालना चाहिए क्योंकि निर्यातक अधिक प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। कवर के अभाव में, उन्हें बिना बीमा के सामान भेजना होगा। एम्स्टर्डम-एशिया मार्ग पर, वॉर रिस्क प्रीमियम दिसंबर की शुरुआत में 0.1% से बढ़कर 0.5 से 0.7% की वर्तमान सीमा तक बढ़ गया है। तनाव बढ़ने की स्थिति में यह और भी बढ़ सकता है।

लाल सागर का रूट क्यों है खास

कॉमर्स डिपार्टमेंट के अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।अधिकारियों का कहना है कि अभी तक सप्लाई प्रभावित नहीं हुई है, लेकिन समस्या बनी रही तो दिक्कत हो सकती है। शुक्रवार को टेस्ला ने सप्लाई चेन में देरी के कारण अपने बर्लिन प्लांट को 29 जनवरी से 11 फरवरी तक बंद करने की घोषणा की। अनुमान के मुताबिक, वैश्विक शिपिंग का लगभग 10-15% लाल सागर से होकर गुजरता है। यह समुद्री तेल और एलएनजी सहित वाणिज्यिक वस्तुओं के लिए महत्वपूर्ण लिंक है। एशिया-यूरोप व्यापार का लगभग 40% इसी मार्ग से होकर गुजरता है।
Comments