भगवान शिव ( “ऊँ नमः शिवाय” )

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कहते है, पृथ्वी की सम्पूर्ण शक्ति इसी पंचाक्षर मंत्र में ही समाहित है। त्रिदेवों में ब्रह्म देव सृष्टि के रचयि

शिव-शक्ति

शिव के साथ जब तक शक्ति है तभी तक वो शिव कहलाते है, बिना शक्ति के शव के समान हो जाते है। उनका अर्धनारीश्वर रुप इसी बात का प्रतीक है। अपने इस रुप से प्रभु सबको ये सीख देना चाहते है, कि प्रकृति (स्त्री) और पुरुष दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे होते हैं और साथ मिलकर ही सम्पूर्ण होते है। किसी की भी महत्ता कम नहीं है अपितु समान है।

परिचय

शिव जीवन और मृत्यु, विनाश और पुनर्जन्म के देवता हैं, (वह सब जो परस्पर विपरीत है, वह एक कैसे है? यही शिव का रहस्य है।) उनके 1008 अलग-अलग नामों के साथ, यह उनके अविवेकी रहस्यों के आधार का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में सबसे बड़े देवता के रूप में, शिव को उनके दिव्य परिवार, उनकी असाधारण शक्तियों, उनके रूप और उनके लाखों भक्तों के लिए जाना जाता है।

महाशिवरात्रि

इसे महाशिवरात्रि का पर्व भी कहते हैं। यह पर्व हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है। इस दिन भक्त-जन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं। कुछ लोग पूरे दिन व्रत करते हैं, जबकि कुछ आधा दिन तक व्रत करते हैं और बाबा को जल चढ़ाने के बाद भोजन या फलाहार आदि कर लेते हैं। इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। सभी बारह शिवरात्रियों में इसका विशेष स्थान है, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि कहते है। हिन्दी कैलेण्डर की बात करे तो यह फाल्गुन मास की चतुर्दशी को पड़ता है।

शिव का प्रिय मास – सावन

माता सती ने शिव को प्रत्येक जन्म में वरने का प्रण लिया था। किंतु सती के पिता दक्ष के अपने पति का अनादर किए जाने पर स्वयं को भस्म कर लेना, भगवान शिव से सहन न हुआ। और वो इस दुनिया से विरक्त हो गये। पुनः सती ने पार्वती के रुप में पर्वत-राज हिमालय और मैना देवी के घर में जन्म लिया। कहते है, इस जन्म में भी वो बचपन से ही शिव को चाहती थी। पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर से कठोर तप और व्रत किए। तीज का कठोर व्रत भी माता पार्वती ने ही शुरु किया था। सावन में ही शिव को पार्वती के रुप में उनकी पत्नी पुनः मिली थी। इसलिए शिव को यह माह बहुत प्रिय है।

शिव की मुख्य छवियाँ

शिव की छवियां उनकी विभिन्न भूमिकाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। महायोगी के रूप में शिव की छवि उन्हें ध्यान और एक शांत अवस्था में प्रस्तुत करती है। इस अवस्था में शिव ने जानवरों की खाल पहन रखी है और उनकी आँखें केवल आधी खुली हैं। पशु की त्वचा प्रकृति के संपर्क में होने का प्रतिनिधित्व करती है और उनकी आँखें इस बात का प्रतीक हैं कि वह दुनिया में केवल आंशिक रूप से है। महायोगी छवि में वे एक त्रिशूलधारी हैं, जो बुद्धि, मन और शरीर पर प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व करता है।

नटराज की छवि शिव की अधिक प्रसिद्ध छवियों में से एक है और यह उन्हें नृत्य प्रदर्शित करता है। वह अपने नृत्य के लिए प्रसिद्ध है और अक्सर उन्हें नृत्य कलाकार नटराज के रुप में पूजते हैं।

शिव के वाहन नंदी

शिव के परिवार के अंतिम भाग, नंदी, पवित्र बैल है जो शक्ति और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिव के वाहन के रूप में भी कार्य करते हैं।

निष्कर्ष

शिव के इतिहास और पारिवारिक जीवन ने शिव के चित्रण को रेखांकित करने में मदद की है जो आज व्यापक रूप से जाना जाता है। शिव मृत्यु और विनाश के रूप में, और अहंकार को नष्ट करने हेतु सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करते हैं।

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