बॉयफ्रेंड पाने के लिए उतावली हुई जा रही लड़कियों को जरूर सुनना चाहिए उर्मिला मातोंडकर की ये सलाह

Comments · 453 Views

आमतौर पर देखा जाता है कि एक ऐज में आने के बाद कुछ लड़कियां जैसे बॉयफ्रेंड बनाने को ही अपना लक्ष्य बना लेती हैं।

कई बार लड़कियां पीयर प्रेशर में आकर ऐसे फैसले ले बैठती हैं, जिनके लिए वो मानसिक या फिर भावनात्मक रूप से पूरी तरह तैयार भी नहीं होती हैं। ऐसा ही एक फैसला बॉयफ्रेंड बनाने का है। म्यूचुअल फीलिंग्स से उपजे प्यार के चलते बीएफ-जीएफ बनना ठीक है।

अगर सिर्फ दूसरों के सामने कूल दिखने या फिर 'सबके बॉयफ्रेंड हैं, मेरा भी होना चाहिए' जैसी सोच को फॉलो कर रिलेशनशिप में जा रही हैं, तो यकीन मानिए कि ये बहुत गलत निर्णय है। इस तरह के प्रेशर में आने की जगह आपको क्या करना चाहिए, अगर ये समझ नहीं पा रही हैं, तो एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर की सलाह आपके लिए काफी काम की साबित हो सकती है। 

उर्मिला ने एक इंटरव्यू के दौरान रिलेशनशिप के टॉपिक पर बिंदास होकर अपनी राय रखी। 'मैं युवा लड़कियों को सलाह देना चाहती हूं कि ये सोचना कि कूल और हैपनिंग दिखने के लिए जिंदगी में बॉयफ्रेंड होना बेहद जरूरी है, बिल्कुल गलत है।

अपनी जिंदगी को पहले एक्सप्लोर कीजिए। दुनिया में बहुत कुछ देखने और अनुभव करने के लिए मौजूद है। हां, ये सच है कि लाइफ में एक मोड़ पर आकर बॉयफ्रेंड, पति और बच्चे होना काफी अच्छा होता है, लेकिन पहले अपने आपको समझो। क्या करना है वो समझो।

एक्ट्रेस ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा था, 'पहले के समय में महिलाओं के पास इस तरह की सोच रखने का भी विकल्प नहीं था, लेकिन आज ऐसे हालात नहीं हैं। यहां तक कि माता-पिता भी इस चीज को पूरी तरह से समझने लगे हैं।

मैंने खुद काफी लेट शादी की, लेकिन मैंने ये कदम ये सोचकर नहीं उठाया कि इस उम्र तक पहुंच गई हूं, तो शादी तो करनी ही पड़ेगी। वास्तव में मैंने विवाह इसलिए किया, क्योंकि मेरे मन में इस रीत को लेकर काफी सम्मान है।

आपको किसने कहा कि एक उम्र के बाद शादी हो ही जाना चाहिए? इसे लेकर फैसला लेने का हक महिलाओं के पास है। मेरा मानना है कि शादी ही नहीं बल्कि बच्चे करने से जुड़ा निर्णय भी पूरी तरह से महिलाओं पर ही छोड़ देना चाहिए।'

इमोशनल और मेंटल हेल्थ के लिए नहीं ठीक

सच तो ये है कि जब कोई भी सिर्फ दिखावे के चलते किसी भी तरह के रिश्ते में जाता है, तो ये उसके लिए जबरदस्त मानसिक और भावनात्मक दबाव लेकर आता है। ये इसलिए भी थका देता है, क्योंकि व्यक्ति लगातार एक झूठ को जी रहा होता है। इस तरह की स्थिति एंग्जाइटी, स्ट्रेस और सोशल एंग्जाइटी तक का कारण बन सकती है।

Comments