टॉमहॉक मिसाइल, रीपर ड्रोन... हूतियों पर अमेरिका और ब्रिटेन किन हथियारों से कर रहे हमला, जानिए

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US new strike on Houthis: हूतियों के लाल सागर में हमलों के जवाब में यूएस और यूके ने यमन में सैन्य अभियान छोड़ दिया है। यमन में ह

हाइलाइट्स

  • हूतियों पर फिर किया अमेरिका और ब्रिटेन ने हमला
  • खतरनाक हथियारों से यूके और अमेरिका का यमन में हमल
  • हूतियों के लाल सागर में हमलों के बाद किया अमेरिका ने अटैक
साना: यमन के हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने फिर से हवाई हमले किए हैं। लाल सागर में हूतियों के बढ़ते हमलों का जवाब देते हुए गुरुवार को ब्रिटेन और अमेरिका की फौज ने पहला हमला किया था। इसके बाद शुक्रवार रात को फिर से दोनों देशों की फौज ने यमन में बम बरसाए हैं। अमेरिकी सेना ने कई खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल यमन में हूतियों को निशाना बनाने के लिए किया है। इसमें टॉमहॉक मिसाइलें, जेट और रीपर ड्रोन भी शामिल हैं।
 
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि शुक्रवार को उनकी सेना ने लाल सागर शिपिंग पर हमला करने की हूतियों की क्षमता को कम करने के लिए यमन में कई स्थानों पर हमले किए हैं। ये हमले लड़ाकू विमानों और टॉमहॉक मिसाइलों से किए गए। जिसमें हूतियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया। रात के अंधेरे में अमेरिकी सेना ने आरएएफ टाइफून ने यूएस F-35 लाइटनिंग स्टील्थ जेट के साथ शामिल होकर हूती ठिकानों पर हमला किया। वहीं अमेरिकी युद्धपोतों ने 1,000lb की घातक मिसाइलें लॉन्च कीं। यमन की राजधानी साना के साथ-साथ हुदायदाह, हूतियों के लाल सागर बंदरगाह के गढ़ धमार और सादा पर हमला करने के लिए टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया।
 

इन हथियारों का हो रहा इस्तेमाल

अमेरिका और ब्रिटेन की फौज ने जिन टॉमहॉक मिसाइलों से यमन में हगमला किया है, वे अमेरिकी नौसेना की क्रूज मिसाइलें हैं जिन्हें युद्धपोतों के डेक से सैकड़ों मील अंदर तक 1,000 पाउंड का हथियार पहुंचाने के लिए दागा जाता है। इसकी खास बात ये है कि ये वायु रक्षा प्रणालियों से बच सकती है। लड़ाई में इस्तेमाल हो रहे आरएएफ टाइफून की बात की जाए तो ये ये सिंगल-सीट, ट्विन-इंजन फाइटर जेट है, जो 55,000 फीट की ऊंचाई पर 1,380 मील प्रति घंटे से उड़ता है। वहीं F-35B लाइटनिंग स्टील्थ जेट दुनिया के पसंदीदा और सबसे महंगे फाइटर जेट मॉडलों में से एक है, जो अपनी अपनी स्पीड और एयरोडायनामिक बॉडी के लिए जाना जाता है। सेंसर और एयरफ्रेम की वजह से दुश्मन इसे ट्रैक नहीं कर पाते हैं।
 
रीपर ड्रोन का इस्तेमाल भी अमेरिकी सेना ने किया है। रीपर ड्रोन काफी खतरनाक हैं, ये 300 मील प्रति घंटे की गति से 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं और 10,500 पाउंड से अधिक वजन उठा सकते हैं। लड़ाई में पाववे IV बम का भी इस्तेमाल हो रहा है, जिसे हमले से पहले लक्ष्य का पता लगाने के लिए जीपीएस और लेजर दोनों का उपयोग करती हैं। इन बमों का इस्तेमाल पहली बार ब्रिटेन द्वारा 2008 में अफगानिस्तान में ऑपरेशन हेरिक में किया गया था और बाद में इसे लीबिया, इराक और सीरिया में ऑपरेशनों में इस्तेमाल किया गया था।
 
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