रामायण में छिपा है जीवन का सार, अपने जीवन को बना सकते हैं सुखी और सफल

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रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह मनुष्य को जीवन की सीख देता है। रामायण में जहां भगवान राम को पुर

धैर्य और गंभीर बनें
रामायण में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी तीनों ने ही चौदह वर्षों तक विपरीत परिस्थितियों में भी संयम के साथ समय व्यतीत किया। रामायण की इस बात से सीख मिलती है कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में संयम बरतना चाहिए। जो व्यक्ति सुख एवं दुख में संयम और धैर्य बनाए रखता है। वह विषम परिस्थितियों से लड़कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। 

परिवार में एकता बनाएं रखें
जब प्रभु श्री राम को वनवास दिया गया तो उनके भाई लक्ष्मण सभी सुखों का त्याग करके उनके साथ वन को गए और अपने भ्राता श्री एवं भाभी को माता समान मानते हुए उनकी सेवा में चौदह वर्ष व्यतीत किए। तो वहीं भरत ने भगवान राम की खड़ाउ को सिंहासन पर रखकर उनको शासक मानते हुए राज-काज संभाला। इससे सीख मिलती है कि परिवार में सदैव एकता रखनी चाहिए। भाई यदि भाई के साथ हो तो विषम परिस्थितियों को भी आसानी से पार किया जा सकता है। इसलिए परिवार में प्रेम और एकता बनाएं रखने चाहिए। 

माता पिता की आज्ञा का करें पालन
अपने पिता की आज्ञा और वचन को निभाने के लिए चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार किया। इससे सीख लेनी चाहिए कि चाहे परिस्थितियां जैसी भी हो हर संतान को अपनी माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। माता पिता ही इस पृथ्वी पर लाते हैं और आपको जीवन जीने के योग्य बनाते हैं, इसलिए संतान वही योग्य है जो अपने माता पिता का ध्यान रखें और उनकी आज्ञा का पालन करे। माता-पिता के आशीर्वाद से कठिन परिस्थिति में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

एकता में शक्ति
जब रावण ने माता सीता का हरण किया तो राम जी उस समय अपना आत्मविश्वास नहीं डगमगाने दिया उन्होंने सभी को एकत्रित करके समुद्र पर सेतु की निर्माण किया और रावण का वध करके माता सीता को वापस लाए। इससे सीख मिलती है कि यदि योजना बनाकर एकता के साथ कार्य किया जाए तो कठिन से कठिन कार्य भी पूरा किया जा सकता है और लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। 

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