10 फरवरी से शुरू होगी गुप्त नवरात्रि:देवी दुर्गा की पूजा के साथ ध्यान भी करेंगे तो मन होगा शांत और दूर होंगे नकारात्मक व

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चैत्र-आश्विन सामान्य और माघ-आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की दस महाविद्याओ

अभी माघ मास चल रहा है और आज (9 फरवरी) मौनी अमावस्या है। कल यानी 10 फरवरी से माघ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। हिन्दी वर्ष में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है। चैत्र-आश्विन सामान्य और माघ-आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं के लिए साधानाएं खासतौर पर की जाती हैं। इन दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान भी करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, साल की चारों नवरात्रियां ऋतुओं के संधिकाल में आती हैं। जैसे माघ मास के नवरात्रि ठंड के जाने और गर्मी के आने का समय में आती हैं। इस समय शीत ऋतु खत्म हो रही है और बसंत ऋतु की शुरुआत होने वाली है। चैत्र मास की नवरात्रि के समय बसंत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। आषाढ़ मास की नवरात्रि के समय ग्रीष्म ऋतु खत्म होती है और वर्षा ऋतु शुरू होती है। आश्विन नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है।

दस महाविद्याओं की साधनाएं पूरे नियमों के साथ ही की जानी चाहिए। अगर छोटी सी भी लापरवाही होती है तो साधनाएं निष्फल हो जाती हैं और पूजा का विपरीत असर हो सकता है।

माघ मास के नवरात्रि में सेहत संबंधी लाभ पाने के लिए रोज सुबह जल्दी उठें और मेडिटेशन जरूर करना चाहिए।

ध्यान करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। मंत्र जाप करने से एकाग्रता बढ़ती है। एकाग्रता से किसी भी काम को हम बेहतर तरीके से कर पाते हैं और सफलता मिलने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।

सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। गणेश जी के साथ ही अपने इष्टदेव को जल अर्पित करें। वस्त्र, हार-फूल आदि अर्पित करें। भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। दीपक जलाने के बाद अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें। पूजा के अंत में जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। मंत्र जाप के बाद प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।

किसी शांत और साफ जगह पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। आंखें बंद करके मन को शांत करें और दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं। सांस लेने और छोड़ने की गति सामन्य रखें। इस दौरान मन में कोई विचार नहीं होना चाहिए। नियमित रूप से ध्यान करने से मन एकाग्र होने लगता है और अशांति दूर होती है।

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