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Priya Rana
4 u

दोपहर में पतिदेव के साथ, संभोग करने में जो आनंद है वो दुनिया के किसी और काम में नही है, खास तौर पर जब आप की नई नई शादी हुई है, और एक हैंडसम खूब प्यार करने वाला पति मिला हो

वो लड़किया इस बात को ज्यादा समझ पाएंगी जिनकी नई नई शादी हुई हो
नवम्बर ने मेरी शादी हुई थीं, अच्छा परिवार मिला था प्यार करने वाला पति मिला था दोस्त की तरह एक ननद और 2 जेठानिया मिली थी

और पतिदेव तो इतने रोमांटिक की जब मौका मिले जहां मिले शुरू हो जाते थे, उनका कहना था ऐसा करने से प्यार और विश्वास में गहराई आती है,
मैं सच बोलूं प्यार विश्वास का तो ज्यादा नहीं पता पर पति रोमांटिक मिल जाए तो जिंदगी में मजे हैं

जनवरी का महिना था कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, और तकरीबन एक बजे खाना खाकर सभी अपने अपने कमरे में आराम करने गए,

मैं और मेरे पतिदेव भी आगया, थोड़ी बात शुरू हुई थी, लेकिन सभी जानते हैं ठंडी में बात कहा से कहा पहुंच जाए कोई नही जातना

हम दोनो का भी यही हाल था, जैसे ही कुछ होने वाला था तभी मम्मी जी जोर से बुलाई
तुरंत दरवाजा खोला और बाहर चली गई

उन्होंने बोला बरतन ऐसे ही पड़े हैं ये शुभ नही है, जाओ आराम करो आगे से ध्यान देना, मैं साफ कर देती हूं अभी

मैने बोला मम्मी आप रहने दीजिए मैं कर देती हूं
और मन ही मन में सोचने लगी की इतना अच्छा सीन था फालतू मम्मी जी ने बुला लिया

धीरे धीरे मैं जैसे पुरानी होती गई मम्मी मुझे हर चीज पर टोकने लगी, उनका सबसे ज्यादा गुस्सा इस बात पर होता की मैं काम करने ने देरी कर रही हूं

जबकि मैं हर काम अपने हिसाब से करती थी
धीरे धीरे ये बात जेठानी जी को भी बोल जाने लगी

एक दिन सभी को ऑफिस जाना था और ना जाने कैसे इन लोगो के निकलने के समय तक भी नाश्ता और लंच नही बन पाया, इसे सुन मां जी ने हम दोनो लोगो डांट लगाई

शाम को जब पतिदेव घर पर आते हैं तो मैंने ये बात बताई, तो वो मेरे ऊपर ही बोलने लगे की तुम्हे ध्यान देना चाहिए, ऑफिस का समय इधर उधर नही हो सकता

धीरे धीरे पता नही कैसे शाम का खाना जो पहले 8 बजे तक हो जाता था अब उसे होने में 11 बजने लगा था

मां का गुस्सा मेरे और जेठानी पर फूटता की तुम लोगो ने आते ही घर का सारा रूटीन बदल दिया
11 बजे खाने के बाद सोते सोते 1 बज जाता

और सुबह उठने में तकलीफ होती फिर नाश्ता बनाने में आलस आता, हम दोनो देवरानी जेठानी इस चक्कर में पड़े रहते की जल्दी से बिना कम मेहनत का खाना बना दिया जाए

और इस बात का फस्टरेशन पतिदेव और बड़े भैया में भी देखने को मिलने लगा था, लेकिन गलती कहा हो रही थी समझ में नहीं आरा था

धीरे धीरे घर की शांति भी भंग होने लगी, जो आदमी शादी के समय इतना प्यार करता था, वो अब हर सवाल का जवाब चिढ़ के देता है

फिर एक सभी चीज की हद हो गईं

सास ने हम दोनो से कहा की तुम दोनो अपना फोन मुझे देदो हम दोनो को गुस्सा आता है मैं तो कुछ बोलती नही हूं पर जेठानी जी बोल देती है
की मम्मी घर को घर रहने दीजिए इसे जेल मत बनाइए

उन्होंने एक ना सुनी और फोन ले लिया और कहा
अब से फोन सिर्फ दोपहर 1 बजे से रात को 7 बजे तक मिलेगा

हमे अपनी सास का ये रवैया काफी खराब लगा
2 दिन बाद रक्षा बंधन था, मैने मां और पापा से सारी बात बताई जब मैं अपने भाई को राखी बांधने गई थी

मेरी मां और भाई भड़क गए और बोले अभी बात करता हूं किसी की पर्सनल चीज को लेने का क्या हक बनता है

पापा ने भाई को समझाया और बोला तुम इतने बड़े नही हुए हो जो इसकी सास से ऐसे पेश आओ, फिर पापा मुझे कोने में ले जाते हैं और बोलते हैं बेटा तुम्हारी सास तुमसे उमर में बड़ी है, एक बार उनकी बात मानो आखिर इसमें कुछ सच्चाई हो

मैं घर आती हूं और अगले दिन सुबह जल्दी उठ के खाना बनाती हूं समय पर सबको खाना देती हूं और घर के सारे काम भी निपटा देती हूं

लगभग 1 महिने बाद मुझे और मेरी जेठानी को ये बात समझ आई की हम दोनो का हाथ धीमा क्यों चल रहा था

जो काम पहले 8 बजे होता था वो अब 11 बजे क्यों हो रहा
इसके पीछे कारण था मोबाइल, और मोबाइल में भी सबसे खतरनाक चीज चोटी शॉर्ट वीडियो, जो एक के बाद एक देखते जाओ, कैसे समय को खा रही है पता ही नही चलता

मैने ये भी देखा की जबसे शॉर्ट देखना बंद किया किसी चीज पे ज्यादा ध्यान टिकने लगा, कोई भी बात काफी जल्दी समझ आने लगी

और सबसे बड़ी बात पहले घर का सारा काम कर के 2 बजे खाली होते थे अब 12 बजे हो जाते हैं

मुझे और जेठानी जी को इस बात को समझने में समय लगा लेकिन आज 1 साल हो गया है अब सुबह उठ के फोन ना देखना अपने आप में एक अच्छी आदत बन गई है

शायद मेरे पापा ये बात जानते थे इस लिए बड़ी सहूलियत से बोल दिया की जो सास बोल रही हैं कुछ दिन कर के देखो
हमारे घर में होने वाली कीच कीच खत्म हो गई,

अब सोचिए ये शॉर्ट्स कितनी खतरनाक चीज है

मेरा जो हाल था वही हाल आज की हर लड़की और लड़के का है, शॉर्ट और रील के चक्कर में
जो काम 10 मिनट का है वो 2 घंटे में पूरा होता है

यदि आप भी अपने परिवार को ठीक से संभाल नहीं पा रहई हैं या आप को लगता है की समय बहुत जल्दी खत्म हो जाता है और आप सारा दिन कुछ कर नहीं पाते तो
मात्र 1 महीने के लिए रील देखना बंद कर दीजिए
ये वो मीठा जहर है जो अंदर से दिमाग और और हमारे समय को धीरे धीरे खाता जा रहा है

उम्मीद में मेरे इस अनुभव से बहुत से गृहणियों को कुछ फायदा होगा
Hello everyone

कमेंट कर के ये भी बताएं क्या आपने ये नोटिस किया है की रील दखने से बिना अंदाज का समय नष्ट होता है

***ये पोस्ट कैसी लगी ## कमेंट कर बताएं और पसंद हो तो ## अपवोट अवश्य करें और ## शेयर जरूर करें।***

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Kao
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Priya Rana
6 u

जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।

पुरुषों को ये समझना चाहिए कि उनकी कई परेशानियों और पतनों की जड़ कई बार कई गर्लफ्रेंड्स होती हैं।

हर लड़की की आत्मा अच्छी नहीं होती।

कुछ राक्षसी स्वभाव की होती हैं, कुछ में ज़हर छिपा होता है, और कुछ औरतें किसी की किस्मत को बर्बाद करने वाली होती हैं। जैसा की अभी हाल में आप सब देख चुके हैं...!!

इसलिए सावधान रहें।

---

1. हर बार अपने इरेक्शन (लिंगोत्थान) की बात मत मानो।
अधिकतर बार यह तुम्हें गलत दिशा में ले जाता है।
अगर आप अपने इरेक्शन पर नियंत्रण नहीं रख पाए, तो ज़िंदगी छोटी और गरीबी से भरी हो सकती है।

2. किसी लड़की के कर्व्स, बॉडी और फिगर को देखकर रिलेशनशिप मत बनाओ।
ये सब धोखा है, खासकर सोशल मीडिया पर। असली सुंदरता और मूल्य इससे कहीं ज्यादा होता है।

3. हर स्कर्ट के नीचे जो है, उसे हासिल करने की कोशिश मत करो।
कुछ स्कर्ट के नीचे सांप होते हैं, जो काटकर चैन छीन लेते हैं। संयम और अब्स्टिनेंस (संयमित जीवन) अक्सर सबसे अच्छा फल देता है।

4. कई गर्लफ्रेंड्स रखना मर्दानगी नहीं है।
ये सिर्फ आपको औरतबाज़, धोखेबाज़, और बच्चा बनाता है — असली मर्द नहीं।

5. सिर्फ बेड में अच्छे होने से मर्द नहीं बनते।
असली मर्द वह है जो अपनी जिम्मेदारियों से भागता नहीं, उन्हें पूरा करता है।

6. उस लड़की का सम्मान करो जो तुमसे सच्चा प्यार करती है।
किसी लड़की का प्यार और सपोर्ट मिलना आसान नहीं होता। यह उसकी भावनात्मक ताकत और ईमानदारी का सबूत है।

7. दुनिया उन्हीं पुरुषों को सम्मान देती है जो कामयाब होते हैं।
तुम्हारे पास अगर बहुत सारी गर्लफ्रेंड्स हैं, तो कोई तुम्हारी तारीफ नहीं करेगा।
ये सिर्फ समय, ऊर्जा, पैसा और वीर्य की बर्बादी है।

---

याद रखो:
ईमानदार, वफादार और ज़िम्मेदार पुरुष ही असली मर्द कहलाते हैं।
संयम ही सफलता की कुंजी है।

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Kao
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Priya Rana
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Kao
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Priya Rana
14 u

Modi's message for you
#modi #narendramodi

Kao
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Priya Rana

1742466871
Wah Modi ji Great 👍
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Jeste li sigurni da želite izbrisati ovaj komentar?

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Priya Rana
14 u

बेटे के वियोग में गीत बनाया , बन गया प्रेमियों का सबसे अमर गाना :-

साल था 1957 । फ़िल्म "जनम जनम के फेरे" रिलीज हुई। यह म्यूजिकल हिट साबित हुई । इस फ़िल्म के एक गाने "जरा सामने तो आओ छलिये" ने तो जैसे उस दौर में तहलका मचा दिया। यह गाना इतना सुपरहिट साबित हुआ कि उस साल की 'बिनाका गीत माला" का यह नम्बर 1 गीत बन गया।

इस गाने का अनोखा किस्सा है । इस गाने को लिखा था पंडित भरत व्यास ने । तो हुआ यों था कि पंडित भरत व्यास जी के एक बेटा था श्याम सुंदर व्यास ! श्याम सुंदर बहुत संवेदनशील था। एके दिन भरत जी से किसी बात पर नाराज़ होकर बेटा श्याम सुंदर घर छोड़ कर चला गया।

भरत जी ने उसे लाख ढूंढा। रेडियो और अख़बार में विज्ञापन दिया। गली गली दीवारों पर पोस्टर चिपकाए। धरती, आकाश और पाताल सब एक कर दिया।ज्योतिषियों, नजूमियों से पूछा। मज़ारों, गुरद्वारे, चर्च और मंदिरों में मत्था टेका। लेकिन वो नही मिला। ज़मीन खा गई या आसमां निगल गया। आख़िर हो कहां पुत्र? तेरी सारी इच्छाएं और हसरतें सर आंखों पर। तू लौट तो आ। बहुत निराश हो गए भरत व्यास।

उस समय भरत व्यास जी कैरियर के बेहतरीन दौर से गुज़र रहे थे। ऐसे में बेटे के अचानक चले जाने से ज़िंदगी ठहर सी गई। किसी काम में मन नहीं लगता। निराशा से भरे ऐसे दौर में एक निर्माता भरत जी से मिलने आया और उन्हें अपनी फिल्म में गाने लिखने के लिए निवेदन किया। भरत जी ने पुत्र वियोग में उस निर्माता को अपने घर से निकल जाने को कह दिया ।

लेकिन उसी समय भरत जी की धर्मपत्नी वहां आ गई ।उन्होंने उस निर्माता से क्षमा मांगते हुए यह निवेदन किया कि वह अगले दिन सुबह पुनः भरत जी से मिलने आए ।निर्माता मान गए। इसके पश्चात उनकी धर्मपत्नी में भरत जी से यह निवेदन किया की पुत्र की याद में ही सही उन्हें इस फिल्म के गीत अवश्य लिखना चाहिए । ना मालूम क्या हुआ कि पंडित भरत व्यास ने अपनी धर्मपत्नी कि इस आग्रह को स्वीकार करते हुए गाने लिखना स्वीकार कर लिया ।

उन्होंने गीत लिखा - "ज़रा सामने तो छलिये, छुप-छुप छलने में क्या राज़ है, यूँ छुप न सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की यह आवाज़ है.… " । इसे 'जन्म जन्म के फेरे' (1957 ) फ़िल्म में शामिल किया गया। रफ़ी और लता जी ने इसे बड़ी तबियत से , दर्द भरे गले से गाया था। बहुत मशहूर हुआ यह गीत। लेकिन अफ़सोस कि बेटा फिर भी न लौटा।

मगर व्यासजी ने हिम्मत नहीं हारी। फ़िल्म 'रानी रूपमती' (1959 ) में उन्होंने एक और दर्द भरा गीत लिखा - "आ लौट के आजा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं, मेरा सूना पड़ा संगीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं.…"। इस गीत में भी बहुत दर्द था, और कशिश थी। इस बार व्यास जी की दुआ काम कर गई। बेटा घर लौट आया।

लेकिन आश्चर्य देखिये कि वियोग के यह गाने उस दौर के युवा प्रेमियों के सर चढ़कर बोलते थे ।यह पंडित व्यास जी की कलम का ही जादू था ।

पंडित भरत व्यास राजस्थान के चुरू इलाके से 1943 में पहले पूना आये और फिर बंबई। बहुत संघर्ष किया। बेशुमार सुपर हिट गीत लिखे। हिंदी सिनेमा को उनकी देन का कोई मुक़ाबला नहीं। एक से बढ़ कर एक बढ़िया गीत उनकी कलम से निकले।

आधा है चंद्रमा रात आधी.… तू छुपी है कहां मैं तपड़ता यहां…(नवरंग)…निर्बल की लड़ाई भगवान से, यह कहानी है दिए और तूफ़ान की.… (तूफ़ान और दिया).…सारंगा तेरी याद में (सारंगा)…तुम गगन के चंद्रमा हो मैं धरा की धूल हूं.… (सती सावित्री)…ज्योत से ज्योत जलाते चलो.…(संत ज्ञानेश्वर)…हरी भरी वसुंधरा पे नीला नीला यह गगन, यह कौन चित्रकार है.…(बूँद जो बन गई मोती)…ऐ मालिक तेरे बंदे हम.…सैयां झूठों का बड़ा सरताज़ निकला…(दो आंखें बारह हाथ)…दीप जल रहा मगर रोशनी कहां…(अंधेर नगरी चौपट राजा)…दिल का खिलौना हाय टूट गया.…कह दो कोई न करे यहां प्यार …तेरे सुर और मेरे गीत.…(गूँज उठी शहनाई)…क़ैद में है बुलबुल, सैय्याद मुस्कुराये…(बेदर्द ज़माना क्या जाने?) आदि। यह अमर नग्मे आज भी गुनगुनाए जाते हैं। गोल्डन इरा के शौकीनों के अल्बम इन गानों के बिना अधूरे हैं।

व्यास जी का यह गीत - ऐ मालिक तेरे बंदे हम.…महाराष्ट्र के कई स्कूलों में सालों तक सुबह की प्रार्थना सभाओं का गीत बना रहा।पचास का दशक भरत व्यास के फ़िल्मी जीवन का सर्वश्रेष्ठ दौर था।

आज यह सारी बातें इसलिए क्योंकि आज 5 जुलाई को भरत व्यास जी की पुण्यतिथि है । पंडित भरत व्यास जी का जन्म 6 जनवरी, 1918 को बीकानेर में हुआ था। वे जाति से पुष्करना ब्राह्मण थे। वे मूल रूप से चूरू के थे। बचपन से ही इनमें कवि प्रतिभा देखने लगी थी । मजबूत कद काठी के धनी भरत व्यास डूंगर कॉलेज बीकानेर में अध्ययन के दौरान वॉलीबॉल टीम के कप्तान भी रह चुके थे।

पंडित भरत व्यास जी 🙏🙏🏻💐

~सोशल मीडिया से

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